जो हैं वो कम नही है।
पर उनमें दम नही है।
सब हैं अपने धुन सदा ,
भविष्य का गम नही है।
रोते दिलो दिल में वो,
पर आंखें नम नही है।
गालियां सुन आग भरी,
लें फट वो बम नही है।
जलतीं हैं बेटियां पर,
खुद लाज शर्म नही है ।
आपस में जान ले ले
गैरों से दम नहीं है।
एकता शब्द जानते,
बुद्धिमान सम नहीं है।
चाहते बनी बनाई ,
सुनिश्चित कर्म नही है ।
स्वयं का पहचान रखें
धर्य औ धर्म नही है ।
टूट रहे दिन -ब-दिन अब
बात यह अहम नही है ।
लूटेगा देश भारत
मामला गर्म नही है
-'प्यासा-
Vijay Kumar Pandey pyasa'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें