हिंदी कविता-हिन्दी ग़ज़ल

हिंदी कविता-हिन्दी ग़ज़ल ग़ज़ल ❤️ग़ज़ल❤️
झगड़ों ने मश्विरा दी है 
बढ़ा प्रेम फैसला दी है।
         **
मंजूर जिसे नही बातें 
मरने की सज़ा दी है । 
         **
जिंदगी नही कटे तन्हा,
जुदाइयों ने बता दी है ।
           **
हरियाली की महत्ता को 
पतझड़ों ने समझा दी है।
           **
रंजिशें कब की थी 'प्यासा'
आज सभी को कजा दी है।
            **
         विजय कुमार पाण्डेय 
'प्यासा' ❤️❤️ग़ज़ल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें