छोड़ो नफरत बस प्यार करो

छोड़ो नफरत बस प्यार करो ~छोड़ो नफरत बस प्यार करो~
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छोड़ो नफरत बस प्यार करो।
सच बात यही स्वीकार करो।
जो प्यार मिले अपनाओ तुम।
आगंतुक का सत्कार करो। 
छोड़ो ..
यह जीवन तेरा व्यर्थ न हो ।
हाधो से कभी अनर्थ न हो ।
जो रख्खी सोच तने मन में।
निज हाथों बेड़ा पार करो। 
छोड़ो ...
तू प्रेम पथिक उद्देश्य प्रेम।
तू देता चल संदेश प्रेम।
कोई दे पथ गर तुझे नही ।
कोशिश अपनी हर बार करो। 
छोड़ो... 
तू प्रेम हवाओं में रख दें।
जग प्रेम तरंगों से भर दे।
अपने तू चारों तरफ प्रेम ।
सारे जग में साकार करो।
 छोड़ो ...
                        -"प्यासा"


खिचड़ी यदि बर्तन पके, ठीक करे बीमार

~ एक कुण्डलिया छंद ~

खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार ।
पकता रहे दिमाग में , जीवन हो दुश्वार।।

जीवन हो दुश्वार, बिगड़ती जाये हालत।
अच्छी वाली सोच, रखें क्यों बनते बालक ।।

कह प्यासा कविराय, सुधारें हालत बिगड़ी।
बर्तन की यह चीज,छोड़ें दिमागी खिचड़ी ।।

                     #प्यासा
Vijay Kumar Pandey

हिंदी कविता-हिन्दी ग़ज़ल

हिंदी कविता-हिन्दी ग़ज़ल ग़ज़ल ❤️ग़ज़ल❤️
झगड़ों ने मश्विरा दी है 
बढ़ा प्रेम फैसला दी है।
         **
मंजूर जिसे नही बातें 
मरने की सज़ा दी है । 
         **
जिंदगी नही कटे तन्हा,
जुदाइयों ने बता दी है ।
           **
हरियाली की महत्ता को 
पतझड़ों ने समझा दी है।
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रंजिशें कब की थी 'प्यासा'
आज सभी को कजा दी है।
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         विजय कुमार पाण्डेय 
'प्यासा' ❤️❤️ग़ज़ल

हिन्दी कविता-हिन्दी ग़ज़ल

~ग़जल~

हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
कैसे रहना क्या दिखलाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
बात मिलाई कुछ ना मैंने सब सीधा सब सादा है 
कहना कब कब चुप हो जाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
चन्दा सूरज कैसे जग को रौशन कर के जाते हैं ,
छुपना कब कब छा जाना है हां मैं तुमसे सीख लिया।
                      ***
बात जगत के दो रंगी पर क्यों उदास हो जायें हम ,
खुद में भी दो धार लगाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                         ***
देख परिंदे लोग यहां पर जाल बिछाये बैठे हैं 
जाल छूये बिन दाना खाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                        ***
आज कलम के बारे में जो पक्षपात हमने देखा,
रोती कलम को क्या समझना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
तुम जगत हो गुरूवर मेरे सबकुछ तुमसे सीखे हैं 
आज बचा सब था जो पाना हां मैं तुमसे सीख लिया।                    
                      *** -'प्यासा'