कवि और कविता

~कुंडलिया~     ❤️❤️
कवि 'औ'कविता में बहुत, होते रहते जंग।
ऐसे ही कविता नहीं, रख्खे अपना रंग।।

रख्खे अपना रंग,रूप ना ऐसे खिलता।
कवि हृदय का निचोड़, दर्द कविता में मिलता।

प्यासा चाहे नहीं,मगर लगता यह भविता
लेखनी कागज भर,भाग्य में कवि औ'कविता ।।
                           ❤️❤️               +'प्यासा'

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