हिन्दी कविता-हिन्दी ग़ज़ल

~ग़जल~

हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
कैसे रहना क्या दिखलाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
बात मिलाई कुछ ना मैंने सब सीधा सब सादा है 
कहना कब कब चुप हो जाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
चन्दा सूरज कैसे जग को रौशन कर के जाते हैं ,
छुपना कब कब छा जाना है हां मैं तुमसे सीख लिया।
                      ***
बात जगत के दो रंगी पर क्यों उदास हो जायें हम ,
खुद में भी दो धार लगाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                         ***
देख परिंदे लोग यहां पर जाल बिछाये बैठे हैं 
जाल छूये बिन दाना खाना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                        ***
आज कलम के बारे में जो पक्षपात हमने देखा,
रोती कलम को क्या समझना हां मैं तुमसे सीख लिया।
                       ***
तुम जगत हो गुरूवर मेरे सबकुछ तुमसे सीखे हैं 
आज बचा सब था जो पाना हां मैं तुमसे सीख लिया।                    
                      *** -'प्यासा'
Vijay Kumar Pandey

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