हिन्दी कविता -हिन्दी गजल यह ब्लॉग मेरे मौलिक रचनाओं का संग्रह है। यहां हिन्दी काव्य के सभी छंदों विधाओं काआप आनंद ले सकते हैं -मसलन चौपाई, दोहा, द्रुत विलम्बित छंद,गजल,चार लाइन की कविताएं इत्यादि, यहां तक आने वाले सभी भाईयों-बहनों और मित्रों को बहुत बहुत धन्यवाद नमस्कार 🙏 Vijay Kumar Pandey pyasa
कलयुग नाम -वाम खतम हो..
कलयुग नाम-वाम, खतम हो जाये सब,
ऐसे हृदय में वास राम होना चहिए।
राम राम कहें सब जब भी मिलें तो अब ,
हृदय से राम सरेयाम होना चाहिए ।
घर रहें चाहे दिल्ली चाहे हरियाणा रहे,
रहें चाहे जहां राम नाम होना चाहिए।
हर तरफ एक राम गुंजित चहुं ओर ,
रहे जहां वहीं राम धाम होना चाहिए ।
-'प्यासा'
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छंद (मनहरण)

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